शनिवार, 2 अगस्त 2025

एक लाख की कंपनी दस साल में तीस करोड़ की कैसे हो गई

 एक लाख की कंपनी दस साल में तीस करोड़ की कैसे हो गई 

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की यह कहानी भी 


वैसे तो मोदी सरकार पर इलेक्ट्रोलर बॉण्ड के ज़रिए ही नहीं बड़े क़र्ज़दारों के बैंक लोन माफ़ कर चंदा वसूलने का आरोप लगता रहा है लेकिन आज हम पीयूष गोयल की वह चौंकाने वाली कहानी लेकर आये हैं जिसे सुनकर शायद आपके आँखों में बंधी पट्टी हट जाये…

नरेंद्र मोदी की सत्ता ने 2014 में कुर्सी कब्जाने के बाद से देश में फर्जीवाड़े से तिजोरी भरने का खुला खेल शुरू किया, लेकिन सिर्फ अपनों के लिए। 


आम जनता बिना भगवा ओढ़े यह काम नहीं कर सकती। 


ये कहानी मोदी के पीएम बनने से बहुत पहले, यानी 2005–06 से शुरू होती है। 


मोदी के कद्दावर मंत्री और पेशे से CA पीयूष गोयल ने अपनी पत्नी सीमा गोयल के साथ मिलकर 1 लाख रुपए की जमा पूंजी से एक कंपनी खोली। 


नाम रखा–इंटरकॉन एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड। 


गोयल 13 मई 2014 तक इसके डायरेक्टर रहे। फिर मोदी सत्ता के आते ही पद छोड़ दिया। 


1 लाख की पूंजी वाली इस कंपनी के 10 हजार शेयर्स थे–यानी 10 रुपए प्रति शेयर। 


गोयल के पद छोड़ते ही सीमा के पास 9999 शेयर आ गए। एक शेयर जेबखर्च के रूप में बेटे ध्रुव के नाम कर दिया गया। 


अब यहां से सारा खेल शुरू होता है। 


गोयल के मंत्री बनते ही इंटरकॉन की आय 10 साल (2005 से) में बढ़कर 30 करोड़ हो गई। 


इस 1 लाख के 30 करोड़ में (3000 %) बढ़ने की कहानी बहुत दिलचस्प है, क्योंकि इंटरकॉन ने आज तक कॉरपोरेट मंत्रालय को यह नहीं बताया कि कंपनी ने ऐसा कौन सा काम किया कि आय 30 करोड़ हो गई। 


इस लूट के खेल को यूं समझें। 


असल में, गोयल परिवार और दोस्तों–रिश्तेदारों का कुनबा 11 ऐसी कंपनियों से जुड़ा हुआ था, जिन्होंने बैंकों का लोन हड़पा। 


गोयल के मंत्री बनते ही कुछ कंपनियों का लोन माफ हुआ तो कुछ दीवालिया होकर बेदाग निकल गईं। 


इन्हीं में एक कंपनी थी शिरडी इंडस्ट्रीज। इस कंपनी ने 651 करोड़ का लोन लिया। नहीं चुकाया तो 2017 में 65% लोन माफ करवाया गया। 


एक और कंपनी असीस प्लाईवुड ने 458 करोड़ का लोन हड़पकर खुद को कंगाल घोषित करवा दिया। 


असीस इंडिया इंफ्रा पर भी 457 करोड़ का लोन था। असीस इंडस्ट्रीज को भी 258 करोड़ का लोन मिला। 


सारे लोन का अधिकांश हिस्सा माफ हुआ। दिलचस्प है कि शिरडी से लेकर असीस ग्रुप तक की कंपनियों का ईमेल bknath@asisindia.com ही था। यानी चारों घपलेबाज कंपनियां एक ही शख्स की थीं। 


इसी तरह की 11 कंपनियों के साथ गोयल परिवार के करीबी रिश्ते रहे और पीयूष बतौर केंद्रीय मंत्री उनके लिए काम करते रहे। 


इन सभी 11 कंपनियों में मोदी सत्ता के आते ही गोयल और उसके परिवार के बतौर निदेशक इस्तीफे तो हुए, लेकिन जिन नए लोगों को बदले में लाया गया, वे भी गोयल परिवार से जुड़े थे। 


इनमें राकेश अग्रवाल, मुकेश बंसल, अमित बंसल, मुकेश शाह और प्रशांत शेणॉय जैसे नाम हैं।


राकेश और मुकेश बंसल ने तो सरेआम कहा कि उनके पीयूष के परिवार से रिश्ते हैं। 


वहीं, पीयूष गोयल परिवार का दावा है कि इंटरकॉन का काम सिर्फ एडवाइस देना था। यानी कंपनी पैसा लेकर सलाह देती है। 


कैसी सलाह? जाहिर है लोन हड़पने की, दीवालिया होकर निकल लेने की, अपना लोन माफ करवा लेने की। 


फिर मंत्री बनकर पीयूष गोयल किस तरह इन 11 कंपनियों की मदद कर रहे थे?


सत्ता के रसूख में अपने दोस्तों का लोन माफ करवाना, उन्हें बच निकलने का रास्ता बताना। 


क्या यह हितों का टकराव नहीं है? याद रखे–पीयूष गोयल अभी भी केंद्रीय मंत्री है। 


लेकिन, न खाऊंगा, न खाने दूंगा का जुमला फेंककर देश को बरगलाने वाले नरेंद्र मोदी ने सब जानते हुए पीयूष की फाइल दबाकर रखी। 


कांग्रेस ने जब 2018 में इस मामले को उठाया तो इसी मोदी सत्ता ने झूठा बताकर हवा में उड़ा दिया। 


तब तक गोदी मीडिया भी बिक चुकी थी। 


आज भी किसी पत्रकार में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इस मामले को दोबारा उठाने की हिम्मत कर सके।


अब यह साफ हो चुका है कि इसी मोदी सत्ता के मंत्री, संत्री, माननीयों ने किस तरह ऐसी करप्ट कंपनियों के लिए दलाली की और बैंकों से 14 लाख करोड़ के लोन माफ करवा दिए। 


अभी भी करीब 150 माननीय देश के लिए नहीं, कंपनियों के लिए काम करते हैं। 


नतीजा इंटरकॉन जैसी और भी कंपनियां खड़ी हो रही हैं और गरीब जनता के टैक्स का पैसा लूट रही हैं। 


देश को बचाने के लिए सिर्फ नरेंद्र मोदी का ही जाना जरूरी नहीं। 


उनके साथ देश की करप्ट सत्ता को भी अगले 200 साल तक उखाड़ फेंकना जरूरी है। (साभार)


वरना ऐसी सत्ता सैकड़ों पीयूष को पालती रहेगी।


Soumitra Roy

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

ट्रंप कितना भी जुतियाये पर राहुल को कोई हक़ नहीं…

 ट्रंप कितना भी जुतियाये  पर राहुल को कोई हक़ नहीं…


क्या हो गया है बीजेपी को, क्या हो गया है मोदी सत्ता को, यह सवाल अब इसलिए बड़ा होने लगा है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार मर्यादा लांघ भारत और प्रधानमंत्री का लगातार अपमान करते जा रहे है, यहाँ तक कि अब अर्थव्यवस्था को ही मृत कह दिया लेकिन पूरी बीजेपी चुप रही लेकिन जब पत्रकारों ने राहुल से ट्रंप के इस मृत अर्थव्यवस्था को लेकर सवाल पूछा तो राहुल ने जैसे ही इस पर हामी भरी पूरी बीजेपी राहुल पर पिल पड़ी, ऐसे में ट्रंप पर चुप्पी से उठते सवाल….

सवाल ये है कि_

ट्रंप ने जब भारत की अर्थव्यवस्था को मृत कह दिया,

तब पूरी मोदी/बीजेपी सरकार ने ट्रंप की निंदा क्यों नहीं की..? 


लेकिन प्रेस के पूछने पर जैसे ही

राहुल गांधी ने कहा_ हां सही कहा है कि 

मोदी/बीजेपी ने अपनी नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था को मृत कर दिया है..


तो ट्रम्प पर चुप्पी और पूंछ दबाये 

बीजेपी के सांसदों ने राहुल पर हमला बोल दिया..


सवाल ये है कि जब ट्रम्प ने ये बात कही तब_

बीजेपी ने ऐसी बात कहने के लिये ट्रंप की आलोचना में कुछ भी क्यों नहीं कहा? 


बात केवल ट्रेड टैरिफ की नहीं है, 

सवाल इसका है कि ट्रंप भारत का नाम जिस संदर्भ में ले रहे हैं, उसे क्यों सहन किया जा रहा है? 

वे भारत की नीतियों का मज़ाक उड़ा रहे हैं, 

रुस से तेल खरीदने पर भारत पर जुर्माना लगा रहे हैं, 

भारत की कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, 

क्या यह किसी भी तरह से मोदी के मित्र का व्यवहार है? 

राहुल पर बोलने वाला मोदी गैंग_ट्रम्प पर चुप क्यों है..??

क्या अंग्रेजी की गुलामी से पैंशन लेने‌ वाले मुखबिर क्या फिर से ट्रम्प को ईस्ट इंडिया बनाने की साजिश में मुंह में दही जमा लिये हैं..??